
संविदा पर काम कर रहे दंत चिकित्सकों ने साल 2006 में महज 500 रुपए के मानदेय पर काम शुरू किया था. साल 2015 में नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया तो शुरू हुई लेकिन रिजल्ट के अनिश्चतकालीन इंतजार से डॉक्टरों की खुशी कम हो रही है.
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