
पीड़ितों का कहना है कि यह जमीन जो उनकी अन्नदाता है, वही उनकी पूरे जीवन की पूंजी भी है. बहुत मुश्किल से धान बेचकर इस वर्ष खेती की गई थी, लेकिन कंपनी द्वारा बगैर उनकी रजामंदी के फसलों पर जेसीबी मशीन चला दी गई.
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