हाल ही में सौरभ का कविता संग्रह 'काल बैसाखी' प्रकाशित हुआ है. यह कविता संग्रह वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. संग्रह में मौजूद हर कविता कोई ना कोई अनोखी कहानी कहती है. हर कविता किसी कहानी की तरह खत्म होती है और कविता की अंतिम दो पंक्तियां आपको रोक देती हैं थोड़ी देर के लिए और उसके बात मस्तिष्क पूरी कविता को फिर से दोहराता है और अंत की दो पंक्तियां आंखों के सामने उसी तरह ठहरी हुई होती हैं. हर कविता में शब्द और घटनाएं एक दूसरे से इस तरह जुड़े होते हैं, कि जब तक आप कोई नई कविता नहीं पढ़ते, पुरानी कविता दिमाग में अपनी उपस्थिति बनाये रहती है..
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पढ़ें सौरभ राय की वो चुनिंदा कविताएं, जो खत्म होने के बाद भी मस्तिष्क में चलती रहेंगी
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