Motivational Story: व्यास की शारीरिक अपंगता या उनका शिक्षक होना खास नहीं है, खास है उनके पढ़ाने का वह अंदाज जिसके मुरीद हैं गांव के लोग. उनके जज्बे के सामने, उनकी लगन के सामने सब नतमस्तक है. सचमुच, ब्यास की कहानी संघर्ष से तो भरी जरूर है, लेकिन यह संघर्ष दूसरों के लिए प्रेरक बन जाता है, उनकी कहानी मोटिवेशनल है. यही वजह है कि गिद्धौर के लोग उन्हें खुद के लिए प्रेरणा स्रोत मानते हैं.
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पांवों ने टेक दिए घुटने, फिर भी अपने पांव पर खड़ा होकर दिखाया व्यास ने, पढ़ें प्रेरक स्टोरी
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