Dr Rajendra Prasad Jayanti Special: 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अवकाश की घोषणा की. अवकाश ले लेने के बाद ही उन्हें भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. राजेन्द्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी. उनको देखकर पता ही नहीं लगता था कि वे इतने प्रतिभा सम्पन्न और उच्च व्यक्तित्ववाले सज्जन हैं. देखने में वे सामान्य किसान जैसे लगते थे. अपने जीवन के आखिरी महीने बिताने के लिये उन्होंने पटना के सदाकत आश्रम को चुना. 28 फरवरी 1963 को वे हम सबको छोड़कर चले गए.
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जयंती विशेष: 'लोकल फॉर वोकल' के प्रणेता थे सरल स्वभाव के भारत रत्न डॉक्टर राजेंद्र 'बाबू'!
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