
रांची के निलाद्रि भवन धूर्वा में शनिवार से तीन दिवसीय अर्चक पुरोहित अभ्यास वर्ग एवं संत समागम सम्मेलन शुरु हुआ. आज पहले दिन ग्रामीण क्षेत्रों के 50 अर्चक पुरोहितों को वैदिक पूजा पाठ और संस्कार से जुड़े विभिन्न आयामों की जानकारी बड़े संतों के द्वारा दी गई. कार्यक्रम के तीसरे और आखिरी दिन 19 नवम्बर को देश के कई प्रख्यात संत और विद्वानों का समागम कार्यक्रम यहां रखा गया है. इसमें वैदिक पूजा पाठ और संस्कार को लेकर अपने विचारों से लोगों को अवगत कराएंगे. संतों का कहना है कि जन्म से लेकर मरण तक जीवन से जितने भी संस्कार जुड़े हैं, उनको वेद-शास्त्रों के विधि-विधान से पूरा किया जाता है. इसके लिए संतों की, पुरोहितों की आवश्यकता समाज को सदैव रहती है. संतों ने कहा कि गृह-नक्षत्रों के अनुसार मनुष्य का भाग्य तय है और उसकी चाल के अनुकूल- प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य के जीवन से लेकर उसके स्वाथ्य से लेकर आर्थिक दशा आदि सभी पर पड़ते हैं. वेद-पुराण सम्मत जो ज्ञान इस विषय में है, वह ही इस समागम में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना उद्देश्य है.
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