
महालया के साथ ही दुर्गा पूजा शुरू हो जाती है. मान्यता के अनुसार मां महालया के दिन अपने मायके लौटती है. राजधानी रांची भी महालया के साथ ही दुर्गा पूजा के रंग में रंगने लगा है. इस अवसर पर दुर्गाबाड़ी में महिषासुर मर्दनी का मंचन किया गया. सुमधुर संगीत, लयपूर्ण नृत्य, अभियन के साथ शिव-पार्वती के विवाह से लेकर सती के आत्मदाह, दुर्गा के विभिन्न रूपों की उत्पत्ति, विराट रूप और देवताओं को पीड़ा देने वाले महिषासुर का वध जैसे कथानक ने महिषासुर मर्दनी को साक्षात जमीन पर उतार दिया. संस्था के सचिव गोपाल भट्टाचार्य ने बताया कि यहां की दुर्गापूजा अन्य जगहों की पूजा से थोड़ी भिन्न है. यहां पुराण के अनुसार मां की आराधना की जाती है.
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