बिहार की सियासत में अप्रैल 2022 में जो कुछ हुआ, उसकी पटकथा 2020 में ही लिख दी गई थी. तब चिराग पासवान को बीजेपी ने अपना मोहरा बनाया था. वह परिणाम भाजपा के लिए इस हद तक अनुकूल रहा कि उसने जदयू को बड़ा से छोटा भाई बना दिया. बीजेपी के इस घाव को जदयू भूल नहीं पायी. तब से दोनों के रिश्तों में वह मिठास और भरोसा की कमी साफ दिखने लगा.
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बोचहां उपचुनाव परिणाम ने राजनीतिक दोस्ती-दुश्मनी का तय किया नया फार्मूला
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