
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) ने बिजनौर की शाइस्ता उर्फ संगीता की याचिका पर कहा कि बालिग़ लोगों के शादीशुदा जीवन में परिवार समेत किसी को बेवजह दखल देने का अधिकार नहीं है. परिवार के लोग अगर चाहें तो सामाजिक संबंध भर ख़त्म कर सकते हैं. बेटे-बेटी के जीवन में दखल देने या उनसे मारपीट करने और धमकाने का कोई अधिकार नहीं है.
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