कुर्बानी भी मुस्तकिल एक अलग इबादत है और इसकी जगह किसी दूसरी इबादत को जगह नहीं दी जा सकती. जो यह बहस छिड़ी हुई है कि कुर्बानी के पैसे से सदके में दे दी जाए यह गलत है.
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बकरीद को लेकर दारुल उलूम का फतवा, कुर्बानी की जगह नहीं दे सकते जकात
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