
आपको बता दें कि अमित बचपन में अपने पिता के साथ ठेले पर सब्जी बेचने में मदद करते थे. उनके जीवन की एक ही लक्ष्य था, 'जज' बनकर समाज सेवा करना. इसी लक्ष्य को पाने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में दाखिल लिया.
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