
संथाल परगना में प्रवेश करते ही इन दिनों सड़क और रेल मार्ग के दोनों ओर लाल रंग के खूबसूरत फूल आपका स्वागत करते दिखेंगे. यह पलाश का फूल हैं. चिकित्सकों का कहना है कि पलाश का फूल महिलाओं में लिकोरिया जैसे संक्रामक रोगों के लिए रामबाण है तो इसका फूल और पत्ता पौरुष बढ़ाता है. इसके फुल और पत्ते के काढ़ा से स्पर्म कांउट बढ़ता है. किडनी के रोगियों के लिय पलाश प्रकृति का वरदान है. चरक संहिता में इसे सर्प दंश नाशक कहा गया है. पलाश के बीज में पैरा सोनिक तत्व पाए जाते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक इसके लेप से बिच्छू का जहर उतरता है. हर उम्र के व्यक्ति के पेट में कृमि हों तो इसके बीज का चूर्ण लाभकारी है. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. एग्जिमा और खुजली में यह लाभ पहुंचाता है. रेडिएशन जनित रोगों से छुटकारा मिलता है. पलाश छाल का काढ़ा हाइड्रोसील के रोगी को राहत देता है तो नियमित सेवन से डायबिटीज रोग से छुटकारा मिलता है. पलाश के फूल से इको फ्रेंडली रंग बनाया जाता है. वेद के अनुसार पूजा में इसका उपयोग नहीं होता है. वहीं उपनयन संस्कार में इसके पवित्र डंठल का उपयोग होता है. इसको लेकर वेद के जानकारों के अनुसार पलाश में चेचक जैसी महामारी से बचाने की क्षमता है. आयुर्वेदाचार्यों ने इसके गुणों को देखते हुए क्षेत्र में सरकार से सार्थक पहल की मांग की है.
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