
नकल गिरोह के लोग दो लाख रुपए में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से नकल कराने का ठेका लेते थे. एडवांस के रूप में रुपयों के साथ ही अभ्यर्थियों की ओरिजनल मार्कशीट भी जमा कर लेते थे और परीक्षा के बाद पूरा पेमेन्ट लेने के बाद मार्कशीट वापस की जाती थी. पुलिस गिरोह के सरगना के साथ ही उसके तार और किन-किन लोगों से जुड़े हैं, इसका भी पता लगा रही है
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