
पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष हर मृत्युदंड का मामला मानव जीवन से संबंधित है जिसे कुछ संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं. यदि जीवन लिया जाना है, तो सख्त प्रक्रिया तथा उच्चतम संवैधानिक मानकों का पालन करना होगा.
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