
खुद को ट्रेडर दिखाकर विकल्प जैन लंबे समय से माल को गंतव्य तक भेजने का काम करता था और इसके लिए वह फर्जी कंपनियों के फर्जी ई-बिल बनाता था. जीएसटी लागू होने से पहले विकल्प जैन व्यापार कर से जुड़े अभिलेख भी बनाया करता था.
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