Thursday, February 13, 2020

पुलवामा हमले पर बोलीं शहीद की बेटी-फोन का सहारा था, आतंकियों ने वो भी छीन लिया

सालभर पहले पापा को बस स्टॉप छोड़ने गई थी. वर्दी में सजा उनका चेहरा उदास था, लेकिन रुआब वैसा ही था. बस चली तो देर तक खिड़की से हाथ लहराता रहा. मैं लौट आई. 14 को उनका फोन आया. और फिर ये खबर. बड़ी बेटी होने के कारण अफसरों ने मुझे ही बताया. बड़ा होना बड़ी हिम्मत मांगता है.

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